पैसा पेड़ और प्रधानमन्त्री,,,,,,,,,,,,,
ये वक्त वाकई बदलाव का है| लेकिन सामाजिक बन्धनों से जुड़े होने के चलते ना जाने क्यू हम बदलना ही नही चाहते | याद कीजिये जब आप घरवालो से पैसे मांगते होगे तो वही जबाब आपको भी मिलता होगा पैसे पेड़ पर नही उगते | लेकिन आपने हमने और किसी ने ये माना ही नही नतीजा सबके सामने है |इस वाक्य को सुनते-सुनते और इस उम्मीद मे की कही पैसा पेड़ो पर ही तो नही लगता हिंदुस्तान के लाखो पेड़ काट दिए गए| हालत तो यहाँ तक हो गये की जंगल बचाने के लिए महिलाओ को चिपको आन्दोलन का सहारा लेना पड़ा| इन्ही कटते
ये वक्त वाकई बदलाव का है| लेकिन सामाजिक बन्धनों से जुड़े होने के चलते ना जाने क्यू हम बदलना ही नही चाहते | याद कीजिये जब आप घरवालो से पैसे मांगते होगे तो वही जबाब आपको भी मिलता होगा पैसे पेड़ पर नही उगते | लेकिन आपने हमने और किसी ने ये माना ही नही नतीजा सबके सामने है |इस वाक्य को सुनते-सुनते और इस उम्मीद मे की कही पैसा पेड़ो पर ही तो नही लगता हिंदुस्तान के लाखो पेड़ काट दिए गए| हालत तो यहाँ तक हो गये की जंगल बचाने के लिए महिलाओ को चिपको आन्दोलन का सहारा लेना पड़ा| इन्ही कटते
पेड़ो की टूटती शाखाओ को थामे देश मे वन्य प्रेमियों की लहलहाती फसल भी उग खड़ी हुई | इस फसल को सरकारी पुरस्कारों की खाद और एनजीओ का पानी खूब रास आया,लेकिन पेड़ो की खोटी किस्मत उन्हें तो कटने के लिए ही बनया गया था| लेकिन कल हालत कुछ ऐसे हो गये जैसे सचिन के सोवे शतक के लगते ही उनके सन्यास की अटकलों पर विराम लग गया | हमेशा खामोश रहने वाले और जरुरत पड़ने पर अग्रेजी मे बोलने वाले हमारे प्रधान मंत्री ने भी कल हिंदी मे कह दिया की पैसे पेड़ पर नही लगते | अब तो मान लो यार की वाकई पैसे पेड़ पर नही लगते | देश के सबसे बड़े अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह आजकल पर्यावरण प्रेमी हो गये है तभी तो उन्होंने पैसो से ज्यादा पेड़ो को अहमियत दी | पैसा तो कही भी उग सकता है | क्या हुआ पेड़ पर नही उगा? टू-जी में उगता है,कोयले मे उगता है,खेल के मैदानों मे उगता है,सेना के सामानों की खरीद मे उगता है,सरकार बनाने और बिगड़ने मे उगता है, आप मान लीजिये की पेड़ के सिवा हर कही उगता है| अब इसमें बेचारे पेड़ो का क्या कसूर | देश मे वैसे ही पेड़ो की संख्या लगातार कम हो रही है भूमाफियाओ के हाथो हर रोज पेड़ो को काटकर अरबो रूपये की जमीन बने और बेचीं जा रही है ऐसे मे प्रधानमंत्री के इस एक वाक्य ने पेड़ो की वैसा ही जीवनदान दे दिया जैसे उन्हें ममता के जाने के बाद माया -मुलायम ने दे रखा है| या फिर कह ले की सहवाग को चयन कर्ताओ ने दे रखा है धोनी की नाराजगी के बाद भी| अब चिपको आन्दोलन की जरुरत नही रह जाएगी और ना ही जंगलो को बचाने के लिए किसी वन्य प्रेमी की | क्यूकी जब पैसा पेड़ो पर नही लगता तो पेड़ काट कर फायदा क्या? अब पेड़ भी बचेगे साथ ही पैसा कहा उगता है इसके के विकल्प भी लोगो के पास यूपीए सरकार ने दिए है ,वन्य प्रेमियों को दिए जाने वाले पुरुस्कार और जंगल बनाने के साथ ही पेड़ लगाने वाले अनुदानों का पैसा भी बच जाएगा| देश मे जंगल बढ़ेगे तो रास्ट्रीय मीडिया इसे सुर्खिया बनाएगा फिर लोग बोफ़ोर्स और टू-जी की तरह कोयले और महगाई को भूल जायेगे| सारा देश जश्न मे डूबा रहेगा | अन्ना हजारे केजरीवाल की पार्टी पर नजर रखेगे तो केजरीवाल पार्टी के फंड जुटाने के लिए रामदेव से मुलाकात कर रहे होगे| देश मे नए राजनैतिक समीकरण बनेगे | सिलेंडर की जगह लकडिया ले लेगी और लोग भूल जायेगे की उन्हें सिर्फ छ सिलेंडर मिल रहे है| प्रधानमंत्री फिर खामोश हो जायेगे अगली बार कोई मुद्दा उठेगा तो फिर किसी और कहावत को हिंदी मे कह कर देश मे खुशहाली ले आयेगे | ममता भी रायटर बिल्डिंग के बहार हरियाली देखकर मुस्कराएगी और वाम दलों से रूठी रहेगी| सवाल ये की आप और हम क्या करेगे,हमने आज तक कुछ किया है जो अब करेगे हा लेकिन तब तक इन्तजार करेगे जब तक पैसे पेड़ो पर नही उग जाते .....